Sunday, September 5, 2010

श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती,मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती

हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।

यह सोने की होती तो न जाने क्या होता
यह बाँस की होकर के इतना इतराती है।
हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।

यदि गोरे होते तो क्या करते मनमोहन,
तेरी काली सूरत पर दुनिंया मर जाती है।

हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।

तुम सीधे होते तो न जाने क्या होता,
तेरी टेड़ी चालों पर दुनिया मर जाती है।

हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।

यदि शादी होती तो न जाने क्या होता,
बिन शादी के राधा इतना इतराती है।

हे श्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।

from the wall (facebook) of  Ravi Kant Sharma

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