Sunday, September 5, 2010

राधे तुम बिन कैसे बीते दिवस हमारे


जब कान्हा सौ साल बाद कुरुक्षेत्र के मैदान में राधा से मिलते हैं.
 
राधे राधे  तुम बिन
कैसे बीते दिवस हमारे

तन मथुरा था मन बृज में था
निस दिन रोवत नयन हमारे
राधे राधे तुम बिन
कैसे बीते दिवस हमारे

संसार में जीना था
कर्म भी करना था
प्रेम को तो जाने
सिर्फ ह्रदय हमारे
राधे राधेतुम बिन
कैसे बीते दिवस हमारे
निष्ठुर कहाया निर्मोही बनाया
किसी ने जाना भेद हमारा
तुम बिन कैसे बीती रैन हमारी
राधे राधे तुम बिन
कैसे बीते  दिवस हमारे

दूर मैं कब था तुम तो
बसती थी  दिल में हमारे

तुम बिन अधूरा था
अस्तित्व हमारा
राधे राधे तुम बिन
कैसे बीते दिवस हमारे

विरह अवस्था दोनों की थी
उद्दात प्रेम की लहर बही थी
इक दूजे बिन कब पूर्ण थे
अस्तित्व हमारे
राधे राधे तुम बिन
कैसे बीते दिवस हमारे

हे सर्वेश्वरी प्यारी
ये तुम जानो या हम जाने
राधे राधे तुम बिन
कैसे बीते  दिवस हमारे

by- वन्दना

1 comment:

  1. दूर मैं कब था तुम तो
    बसती थी दिल में हमारे

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